Monday, February 1, 2010

यूरिया से हो सकती है 'बमों की खेती'

खेतीबाड़ी के काम आने वाला यूरिया किसान ही नहीं आतंकी भी इस्तेमाल कर सकते हैं। सुनकर अचरज होगा लेकिन बात सही है। सीमाओं पर चौकसी बढऩे के बाद खाली हाथ आने वाले आतंकी अपने मंसूबे पूरे करने के लिए देसी चीजों का इस्तेमाल करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि औद्योगिक शहरों में यूरिया को विस्फोटक में तब्दील करना बड़ा आसान है।
चंद दिन पहले अफगानिस्तान में यूरिया का आयात, विक्रय और प्रयोग पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। खुद राष्टï्रपति हामिद करजई ने वहां के कृषि मंत्रालय को आदेश दिया। किसानों से कहा गया है कि पंद्रह दिन के अंदर सारा यूरिया कृषि विभाग को सौंप दें। दरअसल वहां आतंकवादी इसका इस्तेमाल बम बनाने के लिए कर रहे हैं। इराक में भी यूरिया नहीं मिलता। अमेरिकी फौज के कहने पर तीन साल पहले यूरिया प्रतिबंधित कर दिया गया है। जबकि अपने देश में यूरिया सुलभ है। कहीं भी किसी शहर या गांव में जितना चाहें खरीद सकते हैं। इंटेलीजेंस को यह बात खटक रही है।
कारण पर थोड़ा सा गौर करने की जररूत है। यूरिया में 46 फीसदी नाइट्रोजन है। इसमें नाइट्रिक एसिड मिलाने पर यूरिया नाइट्रेट बनता है। यह यौगिक ट्राईनाइट्रोटाल्विन (टीएनटी) जितना खतरनाक विस्फोटक होता है। इसका पहली बार प्रयोग 26 फरवरी 1993 को अमेरिका के वल्र्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकियों द्वारा किया गया था। जिसे बाद में अल कायदा ने 11 सितंबर 2001 को नेस्तानाबूद कर दिया। भारत के औद्योगिक शहरों में यूरिया और नाइट्रिक एसिड आसानी से मिलते हैं। सबसे पहले विषय विशेषज्ञ की राय पर गौर करते हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (कानपुर) में रसायन के प्रोफेसर आर गुरूनाथ कहते हैं कि यूरिया से विस्फोटक बनाना बेहद आसान काम है। प्रोफेसर याद दिलाते हैं कि अमेरिका के ओकलाहोम शहर में 1993 के आसपास यूरिया से लदे एक ट्रक को पैट्रोल के टेंकर से टकराकर भीषण विस्फोट को अंजाम दिया गया था। आतंकी इराक और अफगानिस्तान में ऐसा लगातार कर रहे हैं।
दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त तिलक राज कक्कड़ मानते हैं कि सख्ती होगी तो आतंकी खाली हाथ आएंगे। यहां देसी चीजों का इस्तेमाल करेंगे। वे जोड़ते हैं कि अपने यहां इराक या अफगानिस्तान जैसे हालात नहीं हैं। लोगों में आतंक के खिलाफ जागरूकता बढ़ी है। दूसरी ओर खेती के लिए यूरिया बेहद जरूरी है। ऐसे में यूरिया में कुछ चीजें मिला दी जाएं, जिससे इसका दुरुपयोग न हो सके और खेती भी प्रभावित नहीं हो।
देश की यूरिया बनाने वाली अग्रणी कंपनी नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक (तकनीकी) आरके भाटिया का कहना है कि यूरिया केवल वितरकों और किसानों के लिए है। किसी अन्य को नहीं दिया जाता। यह भी मानते हैं कि सुलभ होने के कारण गलत हाथ इसका इस्तेमाल आसानी से कर सकते हैं। इस समस्या के बारे में कभी सोचा भी नहीं गया है। यह काम मंत्रालय स्तर का है लेकिन इस मुद्दे पर सरकार में बात जरूर करेंगे।
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मेरी राय
इस लंबी तकरीर के पीछे मैं यह कहना चाहता हूं कि आजकल के बेहद संवेदनशील माहौल में सरकार को इस बात पर विचार करना चाहिए। हम कोशिश करते हैं कि आतंकवादी देश में नहीं घुसें। अगर वे घुस भी आएं तो कम से कम हमारी ही किसी चीज को हथियार तो नहीं बनाएं। सरकार प्रभावी कदम उठाए। वैसे भी यूरिया में पोटेशियम या फास्फेट मिलाकर इसकी भयावहता को समाप्त करना आसान है।

1 comment:

kumar said...

kabhi-kabhi choti-choti baaten kitnee bhayawah ho sakti hai, ise aapne bakhoobi samjhaya hai. hope authorities will take immediate action on this issue. keep it up.