Tuesday, March 9, 2010

चल रहे हैं 15 फीसदी जाली नोट

पिछले पांच साल के दौरान जाली नोटों की पुलिस बरामदगी लगातार बढ़ी है। खुद केंद्र सरकार और रिजर्व बैंक मानते हैं कि लगभग 90 हजार करोड़ रुपये या कुल प्रचलित मुद्रा का 15 फीसदी हिस्सा जाली नोट हैं। यह भयावह स्थिति है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों पर एक नजर डालने की जरूरत है। वर्ष 2001 में 934 मामले सामने आए। जिनमें 5.30 करोड़ रुपये की कीमत के 2,15,992 नोट पुलिस और दूसरी सुरक्षा एजेंसियों ने बरामद किए हैं। वर्ष 2002 में मामलों और नोटों की संख्या बढ़कर 829 और 3,31,034 हो गई। इन नोटों की कीमत 6.6 करोड़ रुपये थी। वर्ष 2003 में मामले 1,464 और नोट बढ़कर 3,88,843 हो गए। जिनकी कुल कीमत 5.7 करोड़ रुपये थी। वर्ष 2004 में मामले कुछ घटकर 1,176 रह गए लेकिन नोटों की संख्या बढ़कर 4,34,700 हो गई। जिनकी कीमत 7 करोड़ रुपये थी। वर्ष 2005 में 1,990 प्रकरणों में 3,61,700 नोट पकड़े गए। कीमत 6.9 करोड़ रुपये थी। वर्ष 2006 में 1,789 मामलों के जरिए 8.4 करोड़ रुपये की कीमत के 3,57,456 नकली नोट पकड़ में आए। वर्ष 2007 में 2,294 मामलों में 10 करोड़ रुपये देशभर में मिले।

बैंकों की पकड़ में आए नकली नोट अगल हैं। इनकी संख्या और कीमत भी भारी भरकम है। वित्तीय वर्ष 2004-05 में देशभर के बैंकों ने 1,81,928 नकली नोट पकड़े। जिनकी कीमत 2,43,35,460 थी। 2005-06 में 1,76,75,150 रुपये कीमत के 1,23,917 नोट पकड़े थे। इसी तरह वर्ष 2006-07 के दौरान 2,31,90,300 रुपये के 1,04,743 नकली नोट पकड़ में आए थे। 2007-08 में 1,95,811 नकली नोट पकड़े गए। जिनकी कीमत 5,49,91,180 रुपये थी। वर्ष 2008-09 और 2009-10 की रिपोर्ट अभी नहीं आई हैं।

दिल्ली पुलिस के पूर्व आयुक्त तिलकराज कक्कड़ और थल सेना के पूर्व ब्रिगेडियर विशिष्टï सेवा मेडल चितरंजन सांवत तो इसे भारतीय अर्थव्यवस्था पर आतंकी हमला करार देते हैं। इन लोगों का मानना है कि जितने घातक खूनी हमले हैं उससे कहीं ज्यादा खतरनाक यह हमला है।

2 comments:

kshama said...

He bhagwaan...!

कुमार said...

ye padosi mulkon ke aarthik aatankwad ka paridaam hai. jiske chalte humare desh ki aarthik vikas ki gati dheemi pade. aap yun hi muddey uthate rahiye kabhi na kabhi to koi sunega