बिलोव पूवरटी लाइन, यानि गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोग। इस श्रेणी में शामिल होने के लिए मारामारी तो खूब देखी होगी लेकिन, करोड़पति बीपीएल केवल गौतमबुद्धनगर में ही देखने को मिलेंगे। वे भी कोई आम आदमी नहीं विधायक, जिला पंचायत सदस्य या ग्राम प्रधान रह चुके हैं। बड़ी संख्या में ऐसे नाम भी हैं, जिनकी पूरी जानकारी प्रशासन और विकास विभाग को नहीं है। इन लोगों के नाम पर लाभ कौन ले रहा है, किसी को मालूम नहीं है।
गौतमबुद्धनगर जिले में 20900 परिवार गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। इनमें करोड़पति भी शामिल हैं। दादरी के पूर्व विधायक समीर भाटी का नाम भी उनके गांव मकौड़ा की बीपीएल सूची में दर्ज है। परिवार का आईडी नंबर 5739 है। उनके परिवार को 74 फीसदी स्कोरिंग दी गई है। समीर भाटी के पिता महेंद्र सिंह भाटी भी तीन बार विधायक रहे थे। इसी गांव के संजय भाटी पुत्र राजबीर भाटी जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। उनका परिवार क्रमांक 5740 पर है। उनके परिवार को 74 फीसदी स्कोरिंग के साथ बीपीएल माना गया है। पूर्व विधायक का कहना है कि उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं थी। उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों ने ऐसा किया होगा। जिलाधिकारी मिलकर सूची से नाम निकलवाएंगे और जांच की मांग करेंगे।
मकौड़ा गांव सबसे ज्यादा 262 परिवारों को बीपीएल का दरजा दिया गया है। 59 लोग ऐसे हैं, जिनके नाम के अलावा कोई सूचना सूची में दर्ज नहीं है। इस गांव के लगभग 50 फीसदी बीपीएल परिवार अपात्र हैं। ऐसे ही दो परिवार नोएडा के निठारी गांव में हैं। निठारी के पूर्व प्रधान विक्रम सिंह के पिता मामचंद पुत्र शेरा सिंह का नाम बीपीएल सूची में क्रमांक 8437 पर है। 89 फीसदी स्कोरिंग के साथ परिवार को गरीबी रेखा से नीचे माना गया है। प्रधान के चाचा हंसराज को भी क्रमांक 8436 पर 89 फीसदी स्कोरिंग के साथ बीपीएल लिस्ट में शामिल किया गया है। जबकि इस परिवार के पास करोड़ों रुपये की संपत्ति है। टाटा सफारी जैसी कई कार हैं। निठारी गांव में मार्केट है। विक्रम सिंह का कहना है कि इस बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। वे तो खुद ग्राम प्रधान रह चुके हैं। आज पहली बार इस बात का पता लगा है। राजेंद्र शर्मा पुत्र बनारसी का परिवार भी बीपीएल लिस्ट में है। गांव के ग्यारह परिवारों में से केवल चार परिवार बीपीएल श्रेणी में आने लायक हैं।
बीपीएल में शामिल लोगों को केंद्र सरकार हर महीने निशुल्क अनाज दे रही है। मनरेगा के तहत १०० दिन का काम दिया जाता है। इन परिवारों के युवक किसी नौकरी के लिए साक्षात्कार देने जाएंगे तो रेल में निशुल्क और बसों में छूट के साथ यात्रा कर सकते हैं। इंदिरा आवास योजना में घर बनाने को अनुदान मिलता है। बच्चों को पढ़ाने के लिए आर्थिक सहयोग मिल रहा है। यह बात अलग है कि करोड़पतियों के परिवार ये सुविधाएं ले रहे हैं या नहीं।
मामले में जिला प्रशासन भी कुछ नहीं कर सकता। दरअसल बीपीएल सूची को भारत सरकार मान्यता दे चुकी है। मुख्य विकास अधिकारी डा.सारिका मोहन का कहना है कि अब केवल केंद्र सरकार को पत्र लिखा जा सकता है। सूची से नाम हटाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार को है। जिलाधिकारी दीपक अग्रवाल का कहते हैं कि कोई शिकायत नहीं मिली और ऐसी जानकारी भी नहीं है। अगर शिकायत मिलेगी तो जांच करवाएंगे। प्रकरण उनके संज्ञान में पंद्रह दिन से ज्यादा बीत चुके हैं लेकिन कोई कार्यवाही अभी तक नहीं की गई है।
यह गोरखधंध अकेले गौतमबुद्धनगर में ही नहीं है। पूरे उत्तर प्रदेश और बाकी राज्यों में भी चल रहा है। मैं गौतमबुद्धनगर में काम कर रहा हूं तो यहां के बारे में साक्ष्यों के साथ बात कर सकता हूं। बाकी सूचनाएं विभिन्न समाचार माध्यमों से आती रही हैं।
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Sunday, April 25, 2010
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2 comments:
bahut achhe dost
what a story.
BPL means Best is Power & Link.
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